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आयुर्वेद द्वारा त्वचा की परतें

 

great आयुर्वेदिक सर्जन सुश्रुत के अनुसार, त्वचा की कुल 7 परतें होती हैं और उनका विवरण वर्तमान अध्ययनों से काफी मिलता-जुलता है। त्वचा के स्वास्थ्य को बनाए रखने में इन सभी परतों का अलग-अलग कार्य था। 
 

  • अवभासिनी: यह व्यक्ति के समग्र स्वास्थ्य को दर्शाता है और त्वचा की गहरी परतों और छोटे स्थानों को नियंत्रित करता है। यह पोषक द्रव्य (जिसे रस धातु के रूप में जाना जाता है) के circulation को भी बनाए रखता है और त्वचा के रंग को highlight करता है। 
     
  • लोहिता: यह त्वचा की बाहरी परत को सहारा देता है और blood की quality को दर्शाता है। 
     
  • श्वेता: यह त्वचा के प्राकृतिक रंग और प्राकृतिक टोन के संतुलन को नियंत्रित करता है। 
     
  • ताम्र: यह त्वचा की बाहरी परतों की रक्षा और पोषण करता है जो एक barrier के रूप में कार्य करता है। 
     
  • वेदिनी: यह कुछ रोगों के प्रति संवेदना या उत्तेजना उत्पन्न करके कार्य करती है। 
     
  • रोहिणी: यह क्षतिग्रस्त ऊतकों की मरम्मत करके त्वचा की परतों को ठीक करने और regenerate करने में मदद करता है। 
     
  • मनसाधारा: यह त्वचा की firmness और smoothness बनाए रखता है। 
     

Source:-Balkrishna, A., Telles, S., & Gupta, R. K. (2018). The anatomy of the skin: concepts from Ayurveda and computational modelling. Indian Journal of Clinical Anatomy and Physiology, 5(1), 144-147. 
 

Disclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment.Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.

 

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अस्वीकरण:

यह जानकारी चिकित्सीय सलाह का विकल्प नहीं है. अपने उपचार में कोई भी बदलाव करने से पहले अपने स्वास्थ्य सेवा प्रदाता से परामर्श लें। मेडविकी पर आपने जो कुछ भी देखा या पढ़ा है, उसके आधार पर पेशेवर चिकित्सा सलाह को अनदेखा या विलंब न करें।

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डॉ. ब्यूटी गुप्ता

Published At: Apr 18, 2024

Updated At: Sep 19, 2024