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महिलाओं में Infertility: Tests से पता करने के कुछ तरीके!

35 साल से कम उम्र की lady का एक साल तक कोशिश करने के बाद भी pregnant न हो पाना और 35 साल की उम्र के बाद छह महीने तक कोशिश करने के बाद भी pregnant ना हो पाने की स्तिथि को infertility कहा जाता है। इस situation में यह ज़रूरी हो जाता है कि डॉक्टर से consult किया जाए ताकि असली problem का solution निकाला जा सके।Ladies में infertility का कैसे पता किया जाता है?Infertility की जांच करने के लिए डॉक्टर ज़्यादातर checkups करते हैं।सबसे पहले doctors पति और पत्नी दोनों का physical checkup करते हैं और दोनों की health and sexual histories के बारे में बातचीत करते हैं। कभी-कभी, कारण जानने के लिए यही काफी होता है। हालांकि, ज़्यादातर doctors को और अधिक tests कराने की ज़रुरत पड़ती है।आगे की जांच शुरू करने के लिए, डॉक्टर आमतौर पर पहले यह पता करते हैं कि हर महीने lady ovulate कर रही है या नहीं। इसके लिए, वे महिला से कह सकते हैं कि वह अपने ovulation को घर पर कुछ इस तरह track करें:कई महीनों तक सुबह उठकर अपना temperature नापें और उसमें बदलाव लिखें।कई महीनों तक अपने cervical fluid की condition लिखें।एक ovulation test किट का घर पर ही उपयोग करें (जो pharmacies में उपलब्ध होती है)।Ovulation का पता blood tests या ovary के ultrasound से भी लगाया जा सकता है। अगर ovulation normal पाया जाता है, तो डॉक्टर दूसरे infertility tests की सलाह देते हैं जैसे कि:Hysterosalpingography: इस test में uterus और fallopian tube का X - Ray किया जाता है। डॉक्टर vagina के रास्ते एक special dye uterus में inject करते हैं, जिससे वे देख सकते हैं कि dye fallopian tube और uterus में आराम से move कर पा रहा है या नहीं।यह उन्हें physical blocks का पता लगाने में मदद कर सकता है जो infertility का कारण बन सकते हैं, क्योंकि ये blocks eggs को fallopian tube से uterus तक पहुँचने से रोक सकते हैं। इसकी वजह से sperms का egg तक पहुंचना भी मुश्किल हो सकता है। 2. Laparoscopy: इस test में lower abdomen पर एक छोटी सी surgery करी जाती है और साथ में एक छोटा सा tool भी use किया जाता है जिसे laproscope कहा जाता है, जिससे पेट के अंदर देखा जा सकता है। डॉक्टर lower abdomen पर एक छोटा सा चीरा लगाते हैं और laproscope डालते हैं। Laproscope के माध्यम से, डॉक्टर ovaries, fallopian tubes और uterus की किसी भी बीमारी या physical problems की जांच कर सकते हैं।Infertility का कारण ढूँढना एक tedious और emotional process हो सकता है। सभी ज़रूरी tests पूरे करने में समय लग सकता है। Regular consultations, patience और positivity ही successful pregnancy की कुंजी है।Source:- https://www.womenshealth.gov/a-z-topics/infertility

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क्या मैदा धीरे धीरे आपकी सेहत ख़राब कर रहा है? मैदा खाने के नुक़सान! जानिये सच्चाई!

मैदा, यानि refined flour, काफी जंक फूड्स जैसे बिस्किट्स, नूडल्स, और केक्स में इस्तेमाल होता है। इसका स्वाद तो अच्छा होता है, लेकिन अगर आप रोज़ मैदा खाते हो, तो यह आपकी सेहत के लिए बिल्कुल भी ठीक नहीं है। आइए समझते हैं कि मैदा कैसे बनाया जाता है और यह सेहत के लिए क्यूँ हानिकारक है?मैदा कैसे बनाया जाता है?मैदा गेहूँ को रिफ़ाइन करके बनाया जाता है। इस प्रोसेस में चोकर और गेहूँ के बीज दोनों को निकाल दिया जाता हैं, जिसके बाद सिर्फ़ एक सफ़ेद पाउडर बचा रहता है। इस वाइट पाउडर को ही मैदा कहते हैं।यह बिस्कीट्स और केक्स को मुलायम बनाता है, लेकिन इसका starch content काफ़ी ज़्यादा होता है, जो आपकी शरीर के लिए नुक़सानदायक हो सकता है।मैदा सेहत के लिए हानिकारक क्यों है?मैदा जल्दी पच जाता है, जिसकी वजह से blood sugar levels अचानक बढ़ जाते हैं। इससे आपको जल्दी थकान और भूख लगती है, जो diabetes होने के chances भी बढ़ा सकती है।Refining process के बाद fiber और nutrients निकल जाते हैं, इसलिए मैदा शरीर को ज्यादा पोषण नहीं दे पाता। यह सिर्फ empty calories से भरा हुआ है, जिसके कारण आपका पेट तो भर जाता है लेकिन शरीर को कोई पोषक तत्व नहीं मिलता।मैदा से बनी चीज़ें, जैसे कुकीज़, नूडल्ज़, और ब्रेड, अक्सर शक्कर और unhealthy fats से भरे होते हैं। इन्हें रोज़ खाना मोटापे का सबसे बड़ा कारण भी बन सकता है।Fiber digestion के लिए बेहद ज़रूरी होता है। लेकिन मैदा में fiber की मात्रा बहुत कम होती है।इसलिए मैदा ख़ाने से constipation और bloating जैसी दिक्कतें हो सकती हैं।ज्यादा मैदा खाने से शरीर में inflammation बढ़ सकता है, जो arthritis और heart disease जैसी बीमारियों से जुड़ा होता है।आप मैदा के बजाय और क्या खा सकते हो?ब्रेड, बिस्किट्स, या रोटी बनाने के लिए whole wheat आटा, जई, ज्वार और बाजरा का इस्तेमाल करें। इनमें ज्यादा fiber होता है और यह आपको लंबे समय तक full रखते हैं।फल, ड्राई फ्रूट्स, और घर में बना खाना ज़्यादा खाये। बाहरी चीज़ें जैसे pizza और momos ख़ाना कम कर दें।और हमेशा याद रखिये कि छोटे छोटे बदलाव आपकी सेहत में बड़ा फ़र्क़ ला सकते हैं!Source:-1. https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC8391170/ 2. https://pmc.ncbi.nlm.nih.gov/articles/PMC6146358/

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Ashwagandha के फायदे और नुकसान: किन दवाओं के साथ Ashwagandha न लें?

Ashwagandha एक shrub है जो Asia और Africa में उगती है। इसका उपयोग आमतौर पर तनाव कम करने के लिए किया जाता है।क्या आप आमतौर पर Ashwagandha अपनी diet में शामिल करते हैं? यदि नहीं, तो "Ashwagandha के लाभ" पर हमारा वीडियो ज़रूर देखें और कई health benefits के लिए इसे अपनी diet में शामिल करें।लेकिन क्या आप जानते हैं कि Ashwagandha का सेवन कुछ दवाओं के साथ किस तरह interact करता है? Ashwagandha कई प्रकार की दवाओं के साथ अलग अलग तरह से interact कर सकता है, जिसकी वजह से या तो उन दवाओं के side - effects हो सकते हैं या उन दवाओं की effectiveness कम हो सकती है।आइये देखते हैं Ashwagandha को किन दवाओं के साथ नहीं लेना चाहिए:Diabetes की दवाएं: Ashwagandha, blood sugar level को कम कर सकता है। यदि आप diabetes की दवा ले रहे हैं, तो Ashwagandha लेने की वजह से आपके blood sugar levels बहुत कम हो सकते हैं।इसलिए, अपने blood sugar levels को बराबर नापते रहें।Blood Pressure की दवाएं: Ashwagandha, blood pressure levels को भी कम कर सकता है। इसे blood pressure की दवा के साथ लेने से आपका blood pressure बहुत कम हो सकता है।इसलिए, अपने blood pressure levels को बराबर नापते रहें।Immune System को कम करने वाली दवाएं (Immunosuppressants): Ashwagandha, immune system को बढ़ा सकता है। जिसकी वजह से कुछ दवाओं (जैसे कि liver transplant के बाद उपयोग की जाने वाली दवाओं) का असर कम हो सकता है, जिससे transplant जैसी दवाओं की effectiveness कम हो जाती है।Sedative दवाएं: Ashwagandha और sedative medications दोनों ही नींद और सांस लेने में परेशानी का कारण बन सकते हैं। Ashwagandha के साथ इन्हें लेने से सांस लेने की समस्या और बहुत ज्यादा नींद आने की समस्या हो सकती है।Thyroid Hormones की दवाएं: Ashwagandha की वजह से body में Thyroid Hormone बनने की मात्रा बढ़ सकती है। इसे Thyroid Hormones की गोलियों के साथ लेने से आपके शरीर में बहुत ज़्यादा thyroid hormone बन सकता है।यदि आप किसी भी दवा के चलते Ashwagandha लेने की सोच रहे हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से ज़रूर consult करें। वे आपकी situation को सोच समझकर आपको proper guidance दे सकते हैं।Source:- https://medlineplus.gov/druginfo/natural/953.html

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Ashwagandha के फायदे: तनाव कम करने, Memory & Immunity बढ़ाने के उपाय!

Ashwagandha एक shrub है जिसमें ऐसे chemicals होते हैं जो brain को शांत करने, सूजन को कम करने, रक्तचाप (blood pressure) को कम करने और immune system को सुधारने में मदद कर सकते हैं। Ashwagandha, stress को कम करने के लिए बहुत पुराने समय से ही उपयोग में लाया गया है। ऐसा माना जाता है कि यह body को physical और mental stress से लड़ने में मदद करता है।Ashwagandha के लाभ:तनाव और चिंता को काम करता है: कई researches से पता चला है कि Ashwagandha stress hormone cortisol को कम करने में मदद करता है, जो तनाव और चिंता के levels को काफी कम कर देता है और साथ ही इससे body को rest मिलता है।नींद में सुधार: कई लोग अच्छी नींद के लिए Ashwagandha लेते हैं, और कुछ researches से पता भी चला है कि यह नींद की समस्याओं को manage करने में मदद कर सकता है।संज्ञानात्मक क्षमता (Cognitive function ) में सुधार: Ashwagandha ****cognitive function को improve करता है। यह memory, focus और ध्यान अवधि (attention span) में सुधार करने में भी मदद करता है।Immunity को improve करता है: Ashwagandha में immunity को improve करने वाले गुण होते हैं। यह immunity को manage करने और infections से बचाने में भी मदद करता है।Fertility बढ़ाता है: Ashwagandha तनाव और infertility (बांझपन )दोनों के लिए ही एक प्रभावी herbal उपचार है। यह blood circulation में सुधार करता है और natural तरीके से sperms की quality को बढ़ाता है।क्या Ashwagandha का सेवन सुरक्षित है?देखा गया है कि Ashwagandha लगभग 3 महीने तक use करने के लिए सुरक्षित है। Ashwagandha long term use में कितना सुरक्षित है इसका अभी सही से पता नहीं लग पाया है। हालांकि, यह देखा गया है कि Ashwagandha को ज़्यादा मात्रा में खाने से पेट खराब, दस्त (loosemotions) और उल्टी (vomiting) का कारण बन सकती है। Liver से related कुछ समस्याएं जैसे severe liver failure और liver transplant की आवश्यकता भी कभी कभी देखी जाती है।हालांकि Ashwagandha आम तौर पर सुरक्षित है, इसका उपयोग करने से पहले अपने डॉक्टर से consult ज़रूर करें।Source:- https://medlineplus.gov/druginfo/natural/953.html

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क्या सर्दियों में आपको भी साँस लेने में तकलीफ़ होती है? जानिये इससे निपटने के तरीके।

सर्दियों के मौसम में बहुत से लोगों को साँस लेने में परेशानी होती है। चलिए समझते हैं कि सर्दियों में respiratory issues क्यों बढ़ जाते हैं और उनसे छुटकारा पाने के लिए आप को क्या करना चाहिए।सर्दियों में Respiratory Issues क्यों बढ़ जाते हैं?ठंडी हवा और वायरस: जब तापमान कम होता है, तब आपके नाक के अंदर की हवा भी ठंडी हो जाती है। यह आपके cells की immunity को कम कर देती है। इससे आपको flu या common cold जैसे infections हो सकते हैं।सूखी हवा: सर्दियों की हवा बहुत ज्यादा सूखी होती है, और जब आप इस हवा में सांस लेते हैं, तब आपकी नाक के airways भी सूख हो जाते हैं जिसके कारण आपको inflammation हो सकता है। यह inflammation आपके asthma को भी बढ़ा सकता है।इंडोर हीटिंग: घर के अंदर के heating systems हवा का humidity level कम कर देते हैं, यह आपके respiratory system को dry कर सकती हैं। इस वजह से आपको sinusitis और bronchitis जैसी problems का सामना करना पड़ सकता है।ठंड में होने वाले आम Respiratory Issues और उनसे निपटने के TipsSinusitisSinusitis तब होता है जब आपके sinuses infection की वजह से inflamed हो जाते हैं, जिसकी वजह से आपकी नाक बंद हो जाती है और आपको काफ़ी भयानक सर दर्द भी होता है।इसे manage करने के लिए, आप अपनी नाक और माथे पर गर्म compresses लगा सकते हैं ताकि आपको सर दर्द से थोड़ा आराम मिले।आप saline nasal spray से अपने blocked sinuses भी साफ़ कर सकते हैं।आप भाँप लेकर भी sinuses को ठीक कर सकते हैं। भाँप लेने के समय आप eucalyptus oil का इस्तेमाल करें, इससे आपकी नाक खुलेगी और आपको जल्दी आराम मिलेगा।BronchitisBronchitis तब होता है जब आपके airways inflamed हो जाते हैं। यह problem आपको virus या smoke जैसी चीज़ों के कारण हो सकती है।इसे ठीक करने के लिए आप regular भाँप ले सकते हैं। ऐसा करने से आपके नाक में मौजूद mucus loosen होता हैं, जिससे साँस लेना फिर से आसान हो जाता हैं।नमक पानी से गरारे करें ताकि गले का irritation कम हो।Smoking से बचने की कोशिश करें और अपने immune system को support देने के लिए vitamin D लें।Asthmaसर्दियों की हवा आपके airways को irritate कर सकती है, जो asthma के symptoms जैसे wheezing, coughing, और chest tightness को बढ़ा सकती है।Asthma attacks से बचने के लिए धूल और pollen जैसे चीज़ों से दूर रहें और बाहर जाने पर mask पहनें।ठंड के मौसम में बाहर exercise करने से बचें, क्योंकि dry air asthma attack होने के chances बढ़ा सकती है।ऐसी Deep breathing exercises करें जो आपके नाक के airways को relax करने में मदद करती हैं।अगर तबीयत ज़्यादा ख़राब हो जाएं या ठीक न हो, तो अपने doctor से ज़रूर consult करें।सही precautions और care के साथ, आप सर्दियों के मौसम में भी आसानी से सांस ले सकते हैं!Source:-1. https://www.health.harvard.edu/staying-healthy/7-strategies-to-fight-winter-breathing-problems 2. https://www.health.harvard.edu/staying-healthy/preventing-seasonal-maladies

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सर्दियों में घुटनों के दर्द से राहत पाने के आसान तरीके!

सर्दियों में घुटनों का दर्द अचानक से बढ़ जाता है। ऐसा क्यों होता है और आप इसे कम करने के लिए क्या कर सकते हैं? चलिए जानते हैं।सर्दियों में घुटने का दर्द क्यों होता है?ठंड के मौसम में blood flow कम हो जाता है: जब ठंडी पड़ती है, तब आपके blood vessels contract हो जाते हैं, जिससे आपके घुटनों को blood circulation कम मिलता है। इससे पैरों में अकड़न हो जाती है और घुटने दर्द करते हैं।Pressure में बदलाव: सर्दियों के दौरान barometric pressure गिरने से जोड़ों के आस-पास की tissues में सूजन हो सकती हैं, जिससे घुटनों में extra pressure पड़ता है और घुटने का दर्द भी बढ़ जाता है।कम चलना फिरना: सर्दियों में हम ज्यादा नहीं चलते, और जब हम कम active होते हैं, तब हमारे muscles weak हो जाते हैं। और फिर हम जब चलने की कोशिश करते हैं, तब दर्द और बढ़ जाता है।घुटनों के दर्द से छुटकारा कैसे पाएं?अपने घुटनों को गर्म रखें: अपने घुटनों को गर्म रखने के लिए गर्म कपड़े पहनें। ऐसा करने से शरीर में blood circulation बढ़ जाता है, जो अकड़न और दर्द को कम करता है।रोज़ exercise करें: ठंड में भी exercise करना जरूरी है। Walking या cycling करने से आपके घुटने flexible रहेंगे।Hot Baths लें और Warm Compresses का इस्तेमाल करें: एक गर्म bath लेने से घुटने के आस-पास की muscles relax हो जाती हैं और blood circulation improve हो जाता है। आप अपने घुटनों पर warm compress भी लगा सकते हैं जो आपको तुरंत आराम दे सकता है।खूब पानी पीए: पानी पीना बहुत जरूरी है! ठंडी हवा dehydration का कारण बन सकती है, जो आपके घुटनों पर असर डालती है। पानी पीने से cartilage lubricated रहता है, जिससे घुटनों का दर्द कम हो जाता है।Massage करें: Olive या mustard oil से अपने घुटनों को massage करने से blood flow improve होता है, muscles relax होती हैं और घुटनों में दर्द भी कम होता है।घुटनों के दर्द के लिए Supplements लें।Glucosamine और chondroitin जैसे supplements inflammation कम करने में मदद करते हैं और cartilage को rebuild करते हैं। Omega-3 fatty acids के anti-inflammatory benefits होते हैं जो घुटनों के अकड़न को कम करते हैं। लेकिन, किसी भी supplement को शुरू करने से पहले डॉक्टर से सलाह लें।इन tips को follow करके, आप घुटनों के दर्द को कम कर सकते हैं और सर्दियों को ज्यादा comfortable बना सकते हैं।Source:- 1. https://www.health.harvard.edu/pain/take-control-of-your-knee-pain 2. https://www.health.harvard.edu/topics/knees/all

शॉर्ट्स

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प्रेरणा त्रिवेदी

Nutritionist

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प्रेरणा त्रिवेदी

Nutritionist

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ज्यादा शराब पीने के नुकसान | सेहत पर बुरा असर!

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DRx अश्विनी सिंह

मास्टर इन फार्मेसी

अनुभव

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Apr 24, 2024

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Gaurishankar Jaiswal

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Apr 24, 2024

मेडविकी स्वास्थ्य और दवाओं के बारे में समझने में मदद करता है। इसके माध्यम से मुझे मेरी दवाओं के सही उपयोग की समझ मिलती है

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Anita bhaduri

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Neha Kumari