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गर्भावस्था के दौरान जंक फूड का आपके अजन्मे बच्चे के स्वास्थ्य पर प्रभाव!

Pregnancy ek aisa phase hai jab माँ jo kuch bhi खाती हैं, uska direct असर unke होने वाले baby par padta hai. Toh agar aap junk food ज़्यादा खाती हैं toh usse kya kya problems हो सकती हैं, ye hum aaj detail me samjhenge!बच्चे को Asthma aur Allergies hone ka risk बढ़ जाता है: Junk foods me काफी सारा saturated fat aur sugar होता है, जो body me inflammation करता है, जिसके कारण immune system weak होने लगता है. Agar pregnant lady junk food ज़्यादा consume करती है, toh unke baby ka immunity weak हो जाता है, जिससे बच्चे को allergies ya asthma जैसी problems हो सकती हैं.बच्चे को Genetic Abnormality हो सकती है: Junk foods me काफी additives, preservatives, aur chemicals होते हैं जो आपके blood me mix हो जाते हैं. Jab ek pregnant woman junk food consume करती है, ye chemicals unke blood के through baby तक पहुँच जाते हैं, aur DNA ko damage करते हैं. Iska असर ye होता है ki बच्चे में genetic abnormalities ka risk बढ़ जाता है.बच्चे का वजन ज़्यादा हो सकता है: Is condition ko "Macrosomia" कहते हैं. Junk food me बहुत ज़्यादा calories होती हैं, जिसके कारण pregnant mother aur baby दोनों का वजन बढ़ जाता है. Is वजह से बच्चा normal से बड़ा हो सकता है, जिससे delivery ke time complications हो सकती हैं.बच्चे के Brain Development pe असर पड़ता है: Junk food me calories तो ज़्यादा होती हैं, लेकिन essential nutrients बहुत कम. Is वजह से बच्चे को सही nutrients नहीं मिल पाते, जिससे उनका brain development affect होता है. आगे चलके बच्चा aggressive behavior दिखाने लगता है, aur usko भी high fat aur sugar वाले junk foods पसंद आने लगते हैं, बिल्कुल अपनी माँ की तरह.बच्चे को Future me Diabetes hone ka ख़तरा बढ़ जाता है: Junk food me रहे high sugar aur calories की वजह से baby ke body me glucose aur fat ko metabolize करने की क्षमता कम हो जाती है. Is वजह से future me insulin resistance aur diabetes hone ke chances बढ़ जाते हैं.Agar aap apne होने वाले बच्चे को एक healthy aur happy life देना चाहती हैं, toh apni diet me healthy food ko शामिल करें aur junk food se दूरी बनायें. Apne doctor से apne diet ke बारे में discuss करें aur apne बच्चे के लिए best choose करें.Source:-1. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/24635424/ 2. https://pubmed.ncbi.nlm.nih.gov/17384661/

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Pregnancy से जुड़े 5 common myths और उनकी सच्चाई!

अक्सर लोग इन myths को सच मान लेते हैं, और इससे कई misconceptions पैदा होते हैं। आज हम इन myths को एक-एक करके bust करेंगे, ताकि आप सही जानकारी के साथ अपनी fertility journey को समझ सकें। तो चलिए शुरू करते हैं!Myth: जब आप pregnant होने की कोशिश कर रहे हों, तो हर दिन sex करना चाहिए।Truth: हर दिन sex करना ज़रूरी नहीं है। हर 2-4 दिनों में sex करना enough है pregnant होने के लिए। लेकिन अगर आदमी ज़्यादा frequently ejaculate करता है, तो sperm quality और count कम हो सकते हैं, जिससे conception में परेशानी हो सकती है।Myth: केवल महिलाओं की fertility उम्र के साथ कम होती है।Truth: उम्र के साथ महिलाओं और पुरुषों दोनों की fertility प्रभावित होती है। महिलाओं की fertility 35 साल की उम्र के बाद decline होने लगती है, जबकि पुरुषों की sperm quality 40 साल के बाद कम होनी शुरू हो जाती है।Myth: conceive करने के लिए sex के बाद flat लेटना ज़रूरी है।Truth: pregnant होने के लिए sexual intercourse के बाद flat लेटना ज़रूरी नहीं है। कोई study नहीं है जो ये दावा करती हो कि sex के बाद flat लेटने से pregnancy के chances बढ़ते हैं। बल्कि, ovulation period के दौरान sex करना ज्यादा important है pregnant होने के लिए।Myth: आप अपने menstrual cycle के किसी भी time pregnant हो सकते हैं।Truth: आप तभी pregnant हो सकते हैं अगर आप ovulation के दौरान या उससे कुछ दिन पहले sex करते हैं। अगर आप ovulation से ठीक पहले sex करते हैं, तो pregnancy के chances ज्यादा होते हैं।Myth: Sperm quality तब सबसे अच्छी होती है जब आप कम से कम 10 दिनों तक sex नहीं करते।Truth: नहीं, sperm की best quality तब होती है जब आप हर 2-3 दिन में ejaculate करते हैं। लंबे समय तक ejaculate न करने से sperm damaged या dead हो सकते हैं।Source:-1.https://www.cdc.gov/reproductive-health/infertility-faq/

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Birth control pill: क्या यह आपकी fertility को कम कर देती है?

Contraceptive pills लेने से आगे चल के बच्चे नहीं हो सकते! गर्भ निरोधक गोलियों को लेने से हमारे reproductive organs damage हो जाती हैं जिसके कारण बांझपन हो जाता है!क्या आपने भी ये सब सुना है, हर महिला को ये सुनने को जरूर मिलता है।लेकिन क्या सच में गर्भ निरोधक यानी contraceptive pill लेने से infertility होती है? नहीं, बिल्कुल नहीं। गर्भ निरोधक गोलियों को लेने से बांझपन नहीं होता। ये सिर्फ़ एक myth है जो हमारे society में काफ़ी time से चली आ रही है।अब आइए जानते हैं science क्या कहता है इस बारे में:गर्भ निरोधक गोलियों का काम आपके body में hormones को regulate करना होता है जिससे आपका menstruation regular बना रहता है। तो आप जब oral contraceptive pills ले रहे होते हैं तो ये आपके body में egg नहीं बनने देता, जिसके कारण कोई भी sperm उसको fertilize नहीं कर पाता, और आप pregnant नहीं होते।इसका मतलब साफ है कि गर्भ निरोधक गोलियों को लेने से आपकी pregnancy prevent होती है, infertility नहीं होती। जैसे ही आप इन pills को लेना छोड़ते हैं, अगले 1-2 हफ़्ते या फिर maximum 2 महीने में आपके body के hormones फिर से normal हो जाते हैं और maximum 6 month से 1 साल के अंदर आप conceive कर लेते हैं। आप pregnant हो सकते हैं।ऐसी कोई भी study नहीं है जिससे ये prove हुआ हो कि गर्भ निरोधक गोलियों को खाने से infertility यानी बांझपन होता है। मगर इन गोलियों को लेने से आपके hormones regulate होते हैं, periods में होने वाले cramps कम होते हैं और साथ ही endometriosis या फिर endometrial cancer और ovarian cancer होने के chances को भी कम करता है। अगर किसी को infertility हो रही है या फिर pregnancy में delay हो रहा है तो उसके पीछे age, lifestyle या health conditions हो सकती हैं।तो ऐसी किसी अफ़वाह पे विश्वास ना करके, अपने doctor से बात करें और अपने body की requirement के हिसाब से best contraceptives का use करें।Source:- 1. https://www.sciencedirect.com/science/article/pii/S2590151623000151 2. https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC6055351/

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Pregnancy में Hyperthyroidism: प्रेगनेंसी के दौरान थायरॉइड कैसे बढ़ता है?

थायरॉइड एक butterfly यानी तितली जैसे आकार का एक gland है!जो आपके गले में आगे की तरफ located होता है। Thyroid hormones आपके बच्चे के brain और nervous system के सही विकास के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं, क्योंकि pregnancy के पहले 3 महीनों तक आपके body में produce हो रहे thyroid hormones ही आपके baby तक supply होते हैं placenta के through। और जब आपकी pregnancy का दूसरा trimester start होता है, यानी आपका baby 12 हफ्ते का होता है तो, उसके thyroid glands hormones बनाने लगते हैं, लेकिन ज़रूरत से कम। इसलिए आपके produce किए thyroid hormones का supply ज़रूरी होता है, जब तक आपकी pregnancy 18-20 हफ्ते की न हो।और इस वजह से pregnancy के time अगर किसी lady को hyperthyroidism की शिकायत होती है, तो उसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।आम तौर पर, pregnancy के दौरान hyperthyroidism होने का कारण Graves' Disease है। Graves' Disease एक autoimmune disorder है जिसमें आपके body में Thyroid Stimulating Immunoglobulin (TSI) produce होती है। TSI एक तरह का antibody है जो thyroid hormones का production बढ़ा देता है।और कुछ cases में, बहुत ही ज़्यादा nausea और vomiting होने से होने वाला weight loss और dehydration जिसे hyperemesis gravidarum कहते हैं। ये भी pregnancy के time hyperthyroidism का कारण बन सकता है।Hyperemesis gravidarum के time HCG hormones का level बढ़ जाता है जिसके कारण thyroid hormones बढ़ जाते हैं।और ये problem pregnancy के 6 months के अंदर खत्म हो जाती है।Pregnancy के दौरान होने वाले hyperthyroidism के कुछ common लक्षण हैं:धड़कन बढ़ जानाबहुत गर्मी लगनाथकान ज़्यादा होनाहाथ कांपनाWeight-loss होनाया फिर pregnancy के time होने वाला weight gain ना होना।अगर आपको भी इनमें से कोई लक्षण दिखते हैं तो अपने doctor से मिलें।Source:- 1.https://www.niddk.nih.gov/health-information/endocrine-diseases/pregnancy-thyroid-disease 2. https://www.hopkinsmedicine.org/health/conditions-and-diseases/staying-healthy-during-pregnancy/hypothyroidism-and-pregnancy

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गर्भावस्था में खुजली से राहत पाने के घरेलू नुस्खे |

1. नारियल तेल से मालिशगुण: नारियल तेल हमारी त्वचा में जल्दी और प्रभावी ढंग से समा सकता है। यह हमारी त्वचा को अधिक हाइड्रेटेड बनाने, इसकी लचक बढ़ाने और खुजली से राहत दिलाने में मदद करता है।उपयोग की विधि: नारियल तेल को गरम करें और खुजली वाले हिस्सों पर लगाएं। इसे त्वचा में पूरी तरह से समाने तक मालिश करें।2. नीम के पत्तों से स्नानगुण: नीम में एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो खुजली और त्वचा की जलन से लड़ते हैं। यह त्वचा पर ठंडक और सुकून का असर देता है।उपयोग की विधि: एक कप नीम की पत्तियों को पानी में उबालें। इसे ठंडा होने दें और फिर इस पानी से स्नान करें। यह स्नान खुजली को कम करने और त्वचा के संक्रमण से बचाने में मदद कर सकता है।3. हल्दी का पेस्टगुण: हल्दी में करक्यूमिन होता है, जिसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटीफंगल, और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो खुजली से राहत दिला सकते हैं।उपयोग की विधि: हल्दी पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को खुजली वाले हिस्सों पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें। हल्दी को सप्लीमेंट के रूप में लेना या इसे दूध और चाय में मिलाकर पीना भी खुजली को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।4. चंदन का पेस्टगुण: चंदन में एंटीसेप्टिक, एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो लालिमा, खुजली, और सूजन को ठीक करने में उपयोगी हैं, और इसे एक्जिमा, डर्मेटाइटिस, और सोरायसिस जैसी त्वचा की अन्य स्थितियों में भी उपयोग किया जा सकता है।उपयोग की विधि: चंदन पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं। इसे खुजली वाले हिस्सों पर लगाएं और 30 मिनट के लिए छोड़ दें।5. एलोवेरा जेल:गुण: एलोवेरा में water composition 90% से ज़्यादा होता है, जो विटामिन C और E जैसे आवश्यक विटामिनों से भरपूर होती है। यह त्वचा को हाइड्रेटेड और पोषित रखता है और खुजली को कम करता है।उपयोग की विधि: ताजा एलोवेरा जेल को पत्तियों से निकालकर सीधे खुजली वाले हिस्सों पर लगाएं। 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर पानी से धो लें।6. ओटमील बाथ:गुण: ओटमील त्वचा की ऊपरी परत पर एक सुरक्षात्मक लेयर बनाता है जो नमी को अंदर लॉक करके सूखापन से बचाता है और खुजली से राहत दिलाता है।उपयोग की विधि: बारीक पिसे हुए ओटमील को गरम पानी से भरे बाथटब में मिलाएं और उसमें 15-20 मिनट तक डुबकी लगाएं।गर्भावस्था के दौरान खुजली से राहत पाने के अन्य टिप्सइन उपायों के अलावा, कुछ जीवनशैली में बदलाव करने से भी गर्भावस्था के दौरान खुजली से राहत मिल सकती है:-ढीले और प्राकृतिक फैब्रिक्स जैसे कि कॉटन से बने कपड़े पहनें।-दिन भर में पर्याप्त पानी पिएं ताकि त्वचा अच्छी तरह हाइड्रेटेड रहे।-गरम पानी के स्नान से बचें और गुनगुने पानी से नहाएं ताकि त्वचा की नैचुरल ऑयल्स बनी रहें और सूखापन और खुजली न बढ़े।-सौम्य, बिना खुशबू वाले साबुन या हाइपोएलर्जेनिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें और त्वचा को चिढ़ाने वाले कठोर केमिकल्स से बचें।सावधानियांनैचुरल उपचारों का इस्तेमाल करते समय, यह सुनिश्चित करने के लिए कि इंग्रीडिएंट्स कोई प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं देते, पैच टेस्ट करना जरूरी है। इसके अलावा, अगर खुजली गंभीर हो या अन्य लक्षणों के साथ हो, तो डॉक्टरी सलाह लेना महत्वपूर्ण है।Source:1. Stefaniak, A.A., Pereira, M.P., Zeidler, C. et al. Pruritus in Pregnancy. Am J Clin Dermatol 23, 231–246 (2022). https://doi.org/10.1007/s40257-021-00668-7.2. Gopinath, H., & Karthikeyan, K. (2021). Neem in Dermatology: Shedding Light on the Traditional Panacea. Indian journal of dermatology, 66(6), 706. https://doi.org/10.4103/ijd.ijd_562_213. Prasad S, Aggarwal BB. Turmeric, the Golden Spice: From Traditional Medicine to Modern Medicine. In: Benzie IFF, Wachtel-Galor S, editors. Herbal Medicine: Biomolecular and Clinical Aspects. 2nd edition. Boca Raton (FL): CRC Press/Taylor & Francis; 2011. Chapter 13. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK92752/Disclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment. Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.

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प्रेगनेंसी टेस्ट के लिये Urine sample लेने का सही समय!

पहला सवाल है प्रेगनेंसी टेस्ट पीरियड्स मिस होने के कितने दिन बाद करना चाहिए?प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए पीरियड्स मिस होने के 10 से 12 दिन के बाद टेस्ट करना चाहिए। क्यू के 10 दिन से पहले टेस्ट करने पर रिजल्ट नेगेटिव भी aa सकता है, क्यों कि conceive करने के बाद बॉडी में Human Chorionic Gonadotropin(ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) या HCG hormone का लेवल बढ़ जाता है जो pregnant होने के कुछ दिनों बाद यूरिन प्रेगनेंसी टेस्ट में show होता है।हमेंशा pregnancy test कम से कम 2 बार करना चाहिए confirmation के लिए। अब सवाल आता है कि प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए यूरिन सैंपल किस समय पे लेना चाहिए? प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए सुबह की पहली urine best sample होती है, इस समय पे टेस्ट करने से result एकदम सही आता है।क्योंकि इस टाइम urine काफी टाइम से एककत्था हुआ होता है और पानी कम पीने से यूरिन पतला भी नहीं हुआ होता जिसका कारण यह है कि इसमें HCG की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है।अगर सुबह पेशाब न ले पाए तो पूरे दिन में कभी भी 3-4 घंटे तक पेशाब को होल्ड करके टेस्ट लिया जा सकता है। ऐसी ही जानकारी के लिए हमारे चैनल मेडविकी को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करना ना भूलें।

शॉर्ट्स

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Pregnancy के दौरान Junk Food कैसे आपके baby पर असर करता है?

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डॉ. ब्यूटी गुप्ता

डॉक्टर ऑफ फार्मेसी

अनुभव

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Apr 24, 2024

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Gaurishankar Jaiswal

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Apr 24, 2024

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Anita bhaduri

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Apr 24, 2024

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Neha Kumari