1. नारियल तेल से मालिशगुण: नारियल तेल हमारी त्वचा में जल्दी और प्रभावी ढंग से समा सकता है। यह हमारी त्वचा को अधिक हाइड्रेटेड बनाने, इसकी लचक बढ़ाने और खुजली से राहत दिलाने में मदद करता है।उपयोग की विधि: नारियल तेल को गरम करें और खुजली वाले हिस्सों पर लगाएं। इसे त्वचा में पूरी तरह से समाने तक मालिश करें।2. नीम के पत्तों से स्नानगुण: नीम में एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटीबैक्टीरियल, एंटीफंगल, और एंटीसेप्टिक गुण होते हैं जो खुजली और त्वचा की जलन से लड़ते हैं। यह त्वचा पर ठंडक और सुकून का असर देता है।उपयोग की विधि: एक कप नीम की पत्तियों को पानी में उबालें। इसे ठंडा होने दें और फिर इस पानी से स्नान करें। यह स्नान खुजली को कम करने और त्वचा के संक्रमण से बचाने में मदद कर सकता है।3. हल्दी का पेस्टगुण: हल्दी में करक्यूमिन होता है, जिसमें एंटी-इन्फ्लेमेटरी, एंटीफंगल, और एंटीऑक्सिडेंट गुण होते हैं जो खुजली से राहत दिला सकते हैं।उपयोग की विधि: हल्दी पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं। इस पेस्ट को खुजली वाले हिस्सों पर लगाएं और 15-20 मिनट के लिए छोड़ दें। हल्दी को सप्लीमेंट के रूप में लेना या इसे दूध और चाय में मिलाकर पीना भी खुजली को प्रबंधित करने में मदद कर सकता है।4. चंदन का पेस्टगुण: चंदन में एंटीसेप्टिक, एंटीमाइक्रोबियल गुण होते हैं जो लालिमा, खुजली, और सूजन को ठीक करने में उपयोगी हैं, और इसे एक्जिमा, डर्मेटाइटिस, और सोरायसिस जैसी त्वचा की अन्य स्थितियों में भी उपयोग किया जा सकता है।उपयोग की विधि: चंदन पाउडर को पानी के साथ मिलाकर पेस्ट बनाएं। इसे खुजली वाले हिस्सों पर लगाएं और 30 मिनट के लिए छोड़ दें।5. एलोवेरा जेल:गुण: एलोवेरा में water composition 90% से ज़्यादा होता है, जो विटामिन C और E जैसे आवश्यक विटामिनों से भरपूर होती है। यह त्वचा को हाइड्रेटेड और पोषित रखता है और खुजली को कम करता है।उपयोग की विधि: ताजा एलोवेरा जेल को पत्तियों से निकालकर सीधे खुजली वाले हिस्सों पर लगाएं। 15 से 20 मिनट के लिए छोड़ दें और फिर पानी से धो लें।6. ओटमील बाथ:गुण: ओटमील त्वचा की ऊपरी परत पर एक सुरक्षात्मक लेयर बनाता है जो नमी को अंदर लॉक करके सूखापन से बचाता है और खुजली से राहत दिलाता है।उपयोग की विधि: बारीक पिसे हुए ओटमील को गरम पानी से भरे बाथटब में मिलाएं और उसमें 15-20 मिनट तक डुबकी लगाएं।गर्भावस्था के दौरान खुजली से राहत पाने के अन्य टिप्सइन उपायों के अलावा, कुछ जीवनशैली में बदलाव करने से भी गर्भावस्था के दौरान खुजली से राहत मिल सकती है:-ढीले और प्राकृतिक फैब्रिक्स जैसे कि कॉटन से बने कपड़े पहनें।-दिन भर में पर्याप्त पानी पिएं ताकि त्वचा अच्छी तरह हाइड्रेटेड रहे।-गरम पानी के स्नान से बचें और गुनगुने पानी से नहाएं ताकि त्वचा की नैचुरल ऑयल्स बनी रहें और सूखापन और खुजली न बढ़े।-सौम्य, बिना खुशबू वाले साबुन या हाइपोएलर्जेनिक प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करें और त्वचा को चिढ़ाने वाले कठोर केमिकल्स से बचें।सावधानियांनैचुरल उपचारों का इस्तेमाल करते समय, यह सुनिश्चित करने के लिए कि इंग्रीडिएंट्स कोई प्रतिकूल प्रतिक्रिया नहीं देते, पैच टेस्ट करना जरूरी है। इसके अलावा, अगर खुजली गंभीर हो या अन्य लक्षणों के साथ हो, तो डॉक्टरी सलाह लेना महत्वपूर्ण है।Source:1. Stefaniak, A.A., Pereira, M.P., Zeidler, C. et al. Pruritus in Pregnancy. Am J Clin Dermatol 23, 231–246 (2022). https://doi.org/10.1007/s40257-021-00668-7.2. Gopinath, H., & Karthikeyan, K. (2021). Neem in Dermatology: Shedding Light on the Traditional Panacea. Indian journal of dermatology, 66(6), 706. https://doi.org/10.4103/ijd.ijd_562_213. Prasad S, Aggarwal BB. Turmeric, the Golden Spice: From Traditional Medicine to Modern Medicine. In: Benzie IFF, Wachtel-Galor S, editors. Herbal Medicine: Biomolecular and Clinical Aspects. 2nd edition. Boca Raton (FL): CRC Press/Taylor & Francis; 2011. Chapter 13. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK92752/Disclaimer:-This information is not a substitute for medical advice. Consult your healthcare provider before making any changes to your treatment. Do not ignore or delay professional medical advice based on anything you have seen or read on Medwiki.
अक्सर हर गर्भवती महिला के मन में यह सवाल आता है कि गर्भ में पल रहा बच्चा सुरक्षित और स्वस्थ है या नहीं। हर बार डॉक्टर के पास जाना भी आसान नहीं होता।तो घर बैठे कैसे पता लगा सकते हैं कि गर्भ में पल रहा बच्चा स्वस्थ है या नहीं?गर्भावस्था के दौरान, महिलाएं अपने शरीर में काफी सारे ऐसे लक्षण देखती हैं जो यह दर्शाते हैं कि गर्भ में बच्चा सही से है या नहीं।आइए जानते हैं उन लक्षणों के बारे में:महिलाओं को अक्सर उल्टी और चक्कर आने की शिकायत होती है, लेकिन यह एकदम सामान्य है। यह गर्भावस्था में हो रहे हार्मोनल बदलावों के कारण होता है।जैसे-जैसे बच्चा बढ़ता है, आपका गर्भाशय ऊपर की ओर दबाव बढ़ाता है जिससे सांस लेने में दिक्कत हो सकती है। साथ ही, कमर दर्द, कंधे में दर्द और पीठ में दर्द की शिकायत भी हो सकती है। यह सब बच्चे के स्वस्थ होने का संकेत होते हैं।दूसरी और तीसरी तिमाही के दौरान, मां का वजन 10-12 किलो तक बढ़ सकता है और पेट, ब्रेस्ट या शरीर के अलग-अलग हिस्सों में स्ट्रेच मार्क्स भी दिख सकते हैं।आपके स्तनों में भारीपन आ सकता है और निपल्स के आसपास का क्षेत्र भी काला हो सकता है। यह भी एक स्वस्थ संकेत है, इसका मतलब है कि आपके स्तन होने वाले बच्चे के लिए दूध बना रहे हैं।दूसरे ट्राइमेस्टर में बच्चा मूव करने लगता है और किक भी मारने लगता है। कुछ महिलाओं को बच्चे की मूवमेंट का पता 5 महीने में चलता है, और कुछ महिलाओं को 5 महीने से पहले भी महसूस होता है।बढ़ते हुए बच्चे और गर्भाशय के कारण महिलाओं के पैरों में सूजन आ सकती है और पैरों की नसें भी ऊपर से दिखाई देने लगती हैं, जिसे वैरिकोज नसें कहा जाता है। यह भी बच्चा स्वस्थ होने का संकेत होता है।बच्चे को गर्भ में खतरा होने के लक्षण जानने के लिए हमारा अगला वीडियो जरूर देखें। और ऐसी ही जानकारी के लिए हमारे चैनल मेडविकी को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब जरूर करें।Source:-1. Kepley JM, Bates K, Mohiuddin SS. Physiology, Maternal Changes. [Updated 2023 Mar 12]. In: StatPearls [Internet]. Treasure Island (FL): StatPearls Publishing; 2024 Jan-. Available from: https://www.ncbi.nlm.nih.gov/books/NBK539766/2. Soma-Pillay, P., Nelson-Piercy, C., Tolppanen, H., & Mebazaa, A. (2016). Physiological changes in pregnancy. Cardiovascular journal of Africa, 27(2), 89–94. https://doi.org/10.5830/CVJA-2016-021
Postpartum Depression में महिलाओं को किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है?सही से नींद ना आनाMood बदलते रहनाभूख में बदलावचोट लगने का डरबच्चे को लेकर बहुत चिंतित रहनाउदासी और रोने का सा मन होनासंदेह (doubt) की भावनाConcentration की कमीरोज के कामों में मन ना लगनाPostpartum Depression के कारण:Depression या anxiety से जुड़ा कुछ इतिहासज्यादा बच्चे पैदा करना/ बार-बार माँ बननाPregnancy से जुड़ी कुछ परेशानियां जैसे कि आपातकालीन (emergency) cesarean section, pregnancy के दौरान अस्पताल में भर्ती होना, labor के दौरान परेशानियां, या कम वजन वाले बच्चे को जन्म देनाPregnancy के समय महिला की उम्र कम होनासमाज से emotional और financial समर्थन (support) की कमीअच्छा lifestyle ना होना जैसे कि अच्छा खानपान, कम नींद, एवं कम physical activityVitamin B6, Zinc और Selenium जैसे पोषक तत्वों की कमीPostpartum Depression की संभावना को कम करने में क्या मदद कर सकता है?पहले 3 महीनों में शिशुओं को केवल स्तनपान करानासब्जियां, फल, फलियां, समुद्री भोजन, दूध और दूध से बने उत्पाद, जैतून का तेल और विभिन्न प्रकार के पौष्टिक खान-पान का पर्याप्त सेवनपति द्वारा पूरा सहयोग मिलनाSource:-https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5561681/https://www.who.int/teams/mental-health-and-substance-use/promotion-prevention/maternal-mental-health
जब भी आपके गर्भ में 1 से ज़्यादा बच्चे होते हैं, तो उस तरह की प्रेग्नेंसी को multiple pregnancy कहा जाता है। और जब 2 बच्चे हों तो उसे twins या जुड़वाँ कहते हैं। जुड़वाँ बच्चे 2 किस्म के होते हैं। Identical twins और non-identical twins।अब जानते हैं कि जुड़वाँ बच्चे होते कैसे हैं?असली में जुड़वाँ बच्चे होने के chances सब females के same ही होते हैं, यानी, हर 250 में से 1 female को twins होने के chances होते हैं। हाँ, अगर आपकी age 35 years से ज़्यादा है, तो twins होने के chances ज़्यादा होते हैं।या फिर आपके family में multiple pregnancy की history रही हो तो भी आपको twins हो सकते हैं। और African women में ज्यादा chances होते हैं twin pregnancy के।जब भी आपके uterus में एक से ज़्यादा eggs को sperm fertilize कर देता है, तो उस case में multiple pregnancy होती है। और कभी-कभी एक egg ही fertilize होकर 2 embryos में टूट जाता है, तो उस case में twins होते हैं, और जब एक egg 2 से ज़्यादा embryos में split होता है, तो उस case में 3, 4 या ज़्यादा बच्चे होते हैं।आईये जानते हैं, कि identical twins कैसे होते हैं?Identical twins तब होते हैं जब एक fertilized egg जिसे हम zygote भी कहते हैं, वो 2 embryos में separate होता है। एक ही egg के split होने के कारण दोनों parts में same genes होती हैं और वो फिर identical twins बन जाते हैं। Identical twins हमेशा same sex ही होते हैं, यानी दोनों males होंगे या फिर दोनों females होंगे।अब बात करते हैं, कि non-identical twins कैसे होते हैं?Non-identical twins तब होते हैं जब आपके गर्भ में 2 अलग eggs fertilize होती हैं। और same gene share न करने के कारण ये twins एक जैसे नहीं दिखते। और non-identical twins में दोनों same sex या अलग-अलग sex जैसे male और female भी हो सकते हैं।Source:- 1. https://www.nhs.uk/pregnancy/finding-out/pregnant-with-twins/ 2. https://www.stanfordchildrens.org/en/topic/default?id=overview-of-multiple-pregnancy-85-P08019
पहला सवाल है प्रेगनेंसी टेस्ट पीरियड्स मिस होने के कितने दिन बाद करना चाहिए?प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए पीरियड्स मिस होने के 10 से 12 दिन के बाद टेस्ट करना चाहिए। क्यू के 10 दिन से पहले टेस्ट करने पर रिजल्ट नेगेटिव भी aa सकता है, क्यों कि conceive करने के बाद बॉडी में Human Chorionic Gonadotropin(ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) या HCG hormone का लेवल बढ़ जाता है जो pregnant होने के कुछ दिनों बाद यूरिन प्रेगनेंसी टेस्ट में show होता है।हमेंशा pregnancy test कम से कम 2 बार करना चाहिए confirmation के लिए। अब सवाल आता है कि प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए यूरिन सैंपल किस समय पे लेना चाहिए? प्रेगनेंसी टेस्ट करने के लिए सुबह की पहली urine best sample होती है, इस समय पे टेस्ट करने से result एकदम सही आता है।क्योंकि इस टाइम urine काफी टाइम से एककत्था हुआ होता है और पानी कम पीने से यूरिन पतला भी नहीं हुआ होता जिसका कारण यह है कि इसमें HCG की मात्रा काफी ज्यादा पाई जाती है।अगर सुबह पेशाब न ले पाए तो पूरे दिन में कभी भी 3-4 घंटे तक पेशाब को होल्ड करके टेस्ट लिया जा सकता है। ऐसी ही जानकारी के लिए हमारे चैनल मेडविकी को लाइक, शेयर और सब्सक्राइब करना ना भूलें।
क्या आप भी मां बनने की कोशिश कर रही हैं? क्या आप जानती है कि हमारा बहुत अधिक वजन हमारे रास्ते के बीच में आ सकता है। इसलिए पहले से ही इन दो चीजों पर ध्यान देना बहुत आवश्यक है:स्वस्थ आहारएक सक्रिय जीवन शैलीचलिए आज स्वस्थ आहार के बारे में बात करते हैं:सबसे जरूरी बात: घर पर बने साफ-सुथरे और पौष्टिक भोजन का ही सेवन करें। दिन भर में 3 बार भोजन करेंऔर बीच-बीच में हल्का नाश्ता लेते रहे। ध्यान रखें कि एक दिन में 3 से 5 बार फल और सब्जियां जरूर खाएं।अपने खाने-पीने में शामिल करें यह 6 चीजें:अनाज से बने खाद्य पदार्थ जैसे गेहूं के आटे की रोटी, गेहूं की ब्रेड, ब्राउन चावल, इत्यादि।प्रोटीन से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे अंडे, मछली, चिकन, दाल और सोया।फोलेट से भरपूर खाद्य पदार्थ जैसे हरी पत्तेदार सब्जियां।डबल फोर्टिफाइड नमक (जिसमें आयरन और आयोडीन दोनों हो) का प्रयोग करें खाना बनाने मेंओमेगा 3 और ओमेगा 6 फैटी एसिड, इस समय में बहुत आवश्यक है इसीलिए sunflower seeds, अखरोट, कद्दू के बीज, अलसी के बीज और चिया के बीज का सेवन करें।आयरन से भरपूर खाद्य पदार्थ, जो आयरन की कमी से बचाते हैं।ऐसा माना गया है कि जो महिला गर्भवती होने की कोशिश कर रही है, उन्हें आयरन और फोलिक एसिड की गोलियां लेना पहले से ही शुरू कर देना चाहिए।गर्भावस्था के लिए अपने शरीर को तैयार करने के लिए स्वस्थ आहार लेना बहुत जरूरी है।source: https://www.unicef.org/rosa/stories/what-eat-during-and-after-pregnancy
Pregnancy एक बहुत ही खुबसूरत journey है जो excitement और सवालों से भरी होती है, ख़ास करके आप क्या खा सकते हैं और क्या नहीं। एक सवाल जो अक्सर आता है, वो है: Pregnancy में चाय या coffee पीना safe है या नहीं?तो, चाय और coffee दोनों ही pregnancy में safe होते हैं अगर सही मात्रा में लिए जाएं। चाय और coffee दोनों में caffeine होता है, और साथ ही cold drinks, dark chocolate, white chocolate में भी caffeine होता है। असल में, चाय में जो caffeine होता है, वो placenta के through baby तक पहुँच जाता है और उसके development पे असर कर सकता है। अगर आप बहुत ज़्यादा caffeine लेते हैं, तो miscarriage और low birth weight के chances बढ़ सकते हैं।तो, pregnancy में आपको कितनी चाय या coffee लेनी चाहिए? American College of Obstetricians and Gynecologists कहता है कि pregnancy में 200mg से ज़्यादा caffeine नहीं लेना चाहिए। चाय में coffee के मुक़ाबले कम caffeine होता है, लगभग 25-80mg एक cup में, लेकिन ये cup के size पे भी depend करता है। 1 cup brewed coffee में 70-140mg caffeine होता है। Cola या किसी भी energy drink में 40-100mg caffeine होता है। Dark chocolate में 5-35mg और milk chocolate में 15mg तक caffeine होता है।तो, जब भी चाय या coffee पिएं, ध्यान रखें कि आप caffeine वाली चीज़ें कम खाएं, ताकि total 200mg से ऊपर न जाए।
थायरॉइड एक butterfly यानी तितली जैसे आकार का एक gland है!जो आपके गले में आगे की तरफ located होता है। Thyroid hormones आपके बच्चे के brain और nervous system के सही विकास के लिए बहुत ज़रूरी होते हैं, क्योंकि pregnancy के पहले 3 महीनों तक आपके body में produce हो रहे thyroid hormones ही आपके baby तक supply होते हैं placenta के through। और जब आपकी pregnancy का दूसरा trimester start होता है, यानी आपका baby 12 हफ्ते का होता है तो, उसके thyroid glands hormones बनाने लगते हैं, लेकिन ज़रूरत से कम। इसलिए आपके produce किए thyroid hormones का supply ज़रूरी होता है, जब तक आपकी pregnancy 18-20 हफ्ते की न हो।और इस वजह से pregnancy के time अगर किसी lady को hyperthyroidism की शिकायत होती है, तो उसका पता लगाना मुश्किल हो जाता है।आम तौर पर, pregnancy के दौरान hyperthyroidism होने का कारण Graves' Disease है। Graves' Disease एक autoimmune disorder है जिसमें आपके body में Thyroid Stimulating Immunoglobulin (TSI) produce होती है। TSI एक तरह का antibody है जो thyroid hormones का production बढ़ा देता है।और कुछ cases में, बहुत ही ज़्यादा nausea और vomiting होने से होने वाला weight loss और dehydration जिसे hyperemesis gravidarum कहते हैं। ये भी pregnancy के time hyperthyroidism का कारण बन सकता है।Hyperemesis gravidarum के time HCG hormones का level बढ़ जाता है जिसके कारण thyroid hormones बढ़ जाते हैं।और ये problem pregnancy के 6 months के अंदर खत्म हो जाती है।Pregnancy के दौरान होने वाले hyperthyroidism के कुछ common लक्षण हैं:धड़कन बढ़ जानाबहुत गर्मी लगनाथकान ज़्यादा होनाहाथ कांपनाWeight-loss होनाया फिर pregnancy के time होने वाला weight gain ना होना।अगर आपको भी इनमें से कोई लक्षण दिखते हैं तो अपने doctor से मिलें।Source:- 1.https://www.niddk.nih.gov/health-information/endocrine-diseases/pregnancy-thyroid-disease 2. https://www.hopkinsmedicine.org/health/conditions-and-diseases/staying-healthy-during-pregnancy/hypothyroidism-and-pregnancy
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M.Sc. Nutrition, Certified Lactation Consultant
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